Brain Electricity

क्या सच में हमारे दिमाग में बिजली दौड़ती है? जानिए कैसे करता है ये काम

हम रोज़ सोचते हैं, महसूस करते हैं, याद करते हैं, फैसले लेते हैं — लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब दिमाग कैसे करता है? क्या ये सब मैजिक है? नहीं — ये है हमारे दिमाग में दौड़ती बिजली की ताकत।

जी हां, हमारे दिमाग में सच में बिजली दौड़ती है। पर ये बिजली बिजली के तारों जैसी नहीं होती, बल्कि बहुत छोटे-छोटे इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स होते हैं जो हमारी सोच, हरकत और याददाश्त को कंट्रोल करते हैं।

दिमाग की बिजली कैसे काम करती है? (How Brain Electricity Works)

हमारा दिमाग लाखों-करोड़ों नर्व सेल्स (जिसे [Neurons] कहा जाता है) से बना होता है। ये नर्व सेल्स एक-दूसरे से जुड़कर एक नेटवर्क बनाते हैं। जब भी आप कुछ सोचते हैं, बोलते हैं या महसूस करते हैं — तभी ये न्यूरॉन आपस में इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजते हैं।

उदाहरण के लिए —
जब आप अपने हाथ को हिलाने का सोचते हैं, तो दिमाग एक संदेश भेजता है हाथ की मांसपेशियों तक। ये संदेश [Brain Electricity] की मदद से न्यूरॉन के ज़रिए आगे जाता है, और फिर आपका हाथ खुद-ब-खुद हिल जाता है। यही सिस्टम आपकी आंखें झपकाने, बोलने, दौड़ने या गाने सुनने तक हर चीज में काम करता है।

क्या हम इस बिजली को देख सकते हैं?

हम इसे आंखों से नहीं देख सकते, लेकिन वैज्ञानिक इसे मशीनों से रिकॉर्ड कर सकते हैं। एक मशीन होती है जिसे EEG (Electroencephalogram) कहते हैं, जो दिमाग में चल रही [Electrical Activity] को पकड़ सकती है।

जब किसी को नींद की बीमारी, दौरे (epilepsy), या याददाश्त की समस्या होती है, तो डॉक्टर इसी तरह दिमाग की एक्टिविटी को चेक करते हैं।

हर सोच पर खर्च होती है थोड़ी सी बिजली

आपका दिमाग हर सेकंड में हजारों फैसले लेता है — ज़्यादातर बिना आपको बताए। लेकिन हर छोटा काम — चाहे वो पलक झपकाना हो या सपना देखना — एक छोटा सा इलेक्ट्रिक करंट इस्तेमाल करता है।

सुनने में ये छोटा लगता है, लेकिन अगर आप पूरे दिन की दिमागी एक्टिविटी को जोड़ें, तो दिमाग 20 वॉट तक बिजली खर्च करता है — यानी एक छोटा बल्ब जितनी।

सोचिए — इतना छोटा सा हिस्सा हमारे शरीर का, लेकिन पूरे शरीर की 20% एनर्जी अकेले इस्तेमाल करता है!

जब दिमाग की बिजली रुक जाए तो?

जब दिमाग में ये बिजली रुक जाती है, यानी न्यूरॉन्स सिग्नल भेजना बंद कर देते हैं — तो व्यक्ति बेहोश हो सकता है, या ब्रेन डेड हो सकता है। इसलिए मेडिकल दुनिया में ब्रेन एक्टिविटी चेक करना बहुत जरूरी होता है ये जानने के लिए कि किसी इंसान का दिमाग अभी काम कर रहा है या नहीं।

उदाहरण के लिए —
जब कोई कोमा में चला जाता है, तो डॉक्टर EEG से चेक करते हैं कि दिमाग में अभी भी थोड़ी सी बिजली चल रही है या नहीं।

जानिए कैसे रखें अपने दिमाग की “बत्ती” चालू

अब जब आप जान चुके हैं कि दिमाग एक इलेक्ट्रिकल मशीन की तरह काम करता है, तो उसे हेल्दी रखने के लिए कुछ बातें ध्यान में रखना जरूरी है:

  • रोज़ कम से कम 7–8 घंटे की नींद लें

  • दिमाग को थकाने वाली चीज़ों से ब्रेक लें

  • दिमागी एक्सरसाइज़ करें जैसे पजल्स या नई भाषा सीखना

  • तनाव को कम करें — क्योंकि तनाव दिमाग की बिजली को बिगाड़ सकता है

Dimag Ki Batti का मकसद यही है कि आपकी सोच जले — और आज की बात ये साबित करती है कि दिमाग सच में एक चमकता हुआ सिस्टम है, जिसमें हर विचार एक इलेक्ट्रिक स्पार्क है।

कल फिर मिलेंगे एक नई सोच के साथ — तब तक पूछते रहिए, “अरे! ये कैसे होता है?”

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